राजधानी के गोमतीनगर स्थित मुख्य चौराहा 1090 पर 6 और एल डी ए ऑफिस पर 2 स्थापित किये गए मूर्तिशिल्प।
आम जनमानस में एक अलग उत्साह और आश्चर्य भी है इस मूर्तिशिल्पों को देखकर।
समकालीन मूर्तिशिल्पों से लखनऊ के सौंदर्यीकरण में एक नई कड़ी जुड़ी गई है। इन मूर्तिशिल्पों को राजधानी में अलग अलग स्थानों पर स्थापित होने से लखनऊ में एक अद्भुत और सुंदर दृश्य बना है। पहली बार लखनऊ के विभिन्न स्थानों पर समकालीन मूर्तिशिल्पों को स्थापित किया गया है इस प्रकार की पहल पहली बार की गई है। आपको बताते चले कि 2024 अक्टूबर माह में लखनऊ में मूर्तिशिल्प उत्सव "शैल उत्सव" शिविर का आयोजन किया गया था। यह आयोजन लखनऊ विकास प्राधिकरण के विशेष सहयोग से वास्तुकला एवं योजना संकाय के संयुक्त प्रयास से किया गया था। यह शिविर की क्यूरेटर वंदना सहगल जी और उनके टीम के प्रयासों से सफल हुआ। शिविर वास्तुकला एवं योजना संकाय के प्रागंण में आयोजित किया गया था। इस समकालीन युवा मूर्तिकार शिविर में देश के पांच राज्यों ( नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात) से 10 समकालीन मूर्तिकार (पुरुष और महिला) मूर्तिकार गिरीश पांडेय - लखनऊ, उत्तर प्रदेश, पंकज कुमार - पटना, बिहार, शैलेष मोहन ओझा - नई दिल्ली, राजेश कुमार - नई दिल्ली, सन्तो कुमार चैबे - नई दिल्ली, अजय कुमार - लखनऊ, उत्तर प्रदेश, अवधेश कुमार - लखनऊ, उत्तर प्रदेश, मुकेश वर्मा - लखनऊ, उत्तर प्रदेश, अवनी पटेल - सूरत, गुजरात, निधी सभाया - अहमदाबाद, गुजरात और 6 कार्वर (सहयोगी कलाकार) राजस्थान से शामिल हुए थे। इन मूर्तिशिल्पों के आधार पर स्टील प्लेट पर कलाकारों के नाम और मूर्तिशिल्प का डिटेल क्यू आर और लिखित माध्यम में भी लगाया गया है। शैल उत्सवः 5 राज्यों के 10 कलाकारों की कलाकृतियां बढ़ा रही हैं शहर की शोभा।