पेंटिंग के जरिए याद किए गए वास्तुकार बीवी दोषी


एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तुकला एवं योजना संकाय के पंडित दीन दयाल उपाध्याय ब्लॉक में वास्तुकला के 80 छात्रों ने एक बड़ा म्यूरल बनाया। यह म्यूरल पेंटिंग कैनवस पर एक्रेलिक माध्यम में तैयार किया गया है। इस म्यूरल पेंटिंग के जरिये महान वास्तुकार बीवी दोषी को याद किया गया।

इस म्यूरल पेंटिंग में दोषी की कुछ प्रसिद्ध इमारतों को दिखाया गया है। इमारतों को बिल्कुल वैसा ही चित्रित करने के बजाय जैसा वे दिखती हैं, उनके कुछ हिस्सों को लिया है। उनके आकार, पैटर्न और रूप को एक रचनात्मक डिजाइन में बदल दिया है। पूरे म्यूरल को भूरे, टेराकोटा, गेरू और ग्रे जैसे मिट्टी के रंगों में चित्रित किया गया है, जिन्हें दोषी अक्सर अपनी इमारतों में इस्तेमाल करते थे। ये रंग प्राकृतिक सामग्रियों और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाते हैं।

शांति, प्रकाश और मौन पैदा करना चाहिए। बीवी दोषी का जन्म 26 अगस्त 1927 को पुणे में हुआ था। उन्होंने मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में अध्ययन किया और जल्द ही लंदन और फिर वहां से पेरिस चले गए। वहां उन्होंने मास्टर ली कोर्बुसिए के अधीन काम करने का अनुभव प्राप्त किया। कोर्बुसिए के प्रभाव ने दोषी के काम और जीवन पर एक मजबूत छाप छोड़ी।

वास्तुकला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 2018 में प्रित्जकर पुरस्कार, 2021 में आरआईबीए के रॉयल गोल्ड मेडल और 1976 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका निधन 24 जनवरी 2023 को हुआ। इस कैनवस को वास्तुकला एवं योजना संकाय के द्वितीय वर्ष के 80 छात्रों ने तैयार किया।